बाटा की शुरुआत करने वाले टॉमस बाटा जब 1932 में एक प्लेनक्रैश में मारे गए
तो उनके 18 साल के बेटे ने कारोबार संभाला और विदेशों में फैलाना शुरू कर
दिया। कंपनी का विस्तार करने और रबर-लेदर के लिए वह 1935 के करीब कराची
होते हुए कोलकाता पहुंचे।
1930 में भारत में जूतों की
इंडस्ट्री नहीं थी। जूते जापान से आयात होते थे। बाटा ने 1939 में कोलकाता
में जूते बनाना शुरू किया। बाटा जल्द ही 3,500 जूते हर हफ्ते बेचने लगा।
इसके बाद बाटा ने पटना में लेदर फैक्ट्री शुरू की। वह इलाका अब बाटागंज के
नाम से जाना जाता है।
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